बुधवार, 25 सितंबर 2013

मनुष्य-जोनि में जन्म


रामफल मलिक, जो कि अपनी जमीन को लेकर चल रहे केस के सिलसिेले में कोर्ट लगातार आया-जाया करता था.मिलने पर उसने बताया कि-- कोर्ट जाने पर लगता है कि चील,कव्वें और गिद्धों के बीच आ फंसा हूं.हर कोई पैसा के लिए मुंह फाड़ने लगता है.ऐसा लगता है , मानो लड़की की शादी का समय चल रहा हो,और रिश्तेदारों की मान करने में लगा हूं.मान भी कह-कह करवाई जा रही हो.किसी को 200,तो किसी 500,कोई 100 पर ही अटक जाता है,
-अच्छा !
-पर वकील महाशय तो मानो बटेऊ(जमाई) की तरह 1100 या 2100 से कम के लिए तैयार ही नहीं होता.उसका मुंशी भी जमाई के साथ आए दोस्तों की तरह बरताव करता है,जैसे उसका भी हक बनता है.लगता है जितने की जमीन है,उससे ज्यादा पैसा तो इन भेड़ियों को खिला दूंगा.
-फिर तुम देते ही क्यों हो ?
-पर बेटे है कि इसे अपनी इज्जत से जोड़कर देख रहे है.अब भला इज्जत को कैसे पैसे से तोलू .रोज सुनता हूं कि कलजुग आ गया है,इसमें चील और गिद्ध धीरे-धीरे मर रहे है और एक दिन देखने को भी नहीं मिलेंगे,पर लगता है उनका जन्म सदकर्मों की वजह से मनुष्य-जोनि में हो रहा है.पिछले जन्म के सत-कर्मों की वजह से ही वे सब वकील,मुंशी,क्लर्क बन गए है.
-फिर अब क्यो करोगे ?
-   हे भगवान ! अगले जन्म में मुझे  या मेरी औलाद को कोई एक पद दे देना.तुम्हारा बड़ा अहसान होगा.इस जन्म में तो आपने कोई अहसान किया नहीं,सारी कसर अगले जन्म में निकाल देना.अर उस वेद लंबरदार से भी हिसाब-किताब सही से करना.घणी मौज ली है,उसनै इस जन्म मै. 

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