सोमवार, 19 अगस्त 2013

सबसे ज्यादा खतरा मुझी-से है

सबसे ज्यादा खतरा मुझी-से है,
तुमको,
जब भी मैं यह बात तुमको कहता हूं,
तुम्हे हंस कर नहीं टालनी चाहिए,
क्योंकि,
मुझ में भी कहीं न कहीं,
बसती-रहती है तमाम मर्द-वादी मानसिकता,
वो संस्कार,संस्कृति,
वो परंपराएं,
जो तुम्हे कमतर बताती-मानती आईं हैं,
भले ही तुझे मुझ में रब दिखता हो,
उसी की आड़ में राक्षस भी छिपा हो ,
चाहे मैं बातें कितनी-ही अच्छी करता हो,
उनके पीछे भी कोई मजबूरी या राजनीति हो ,
मत समझो मुझे तुम अपना रक्षक,
सदियों से रहा है पुरुष तुम्हारा भक्षक,
रक्षक होना तो बस छलावा-भर है,
ताकि तुम अपना दुश्मन केवल उन्हें ही समझो,
बचा रहूं मैं तुम्हारी नजरों से निरंतर,
इसलिए,
सबसे ज्यादा खतरा मुझी-से है.
मत रहो समर्पण के भाव-से,
रहो केवल अधिकार भाव-से,
जियो अपना जीवन चाह-से,
मुहावरे गढ़ो अपनी राह-से.

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