रविवार, 22 सितंबर 2013

ना बेटी,इतनी भी समझदार कोनी है

पापा ! पापा !
क्या आप अपनी मरजी से मेरी शादी करोगे ?
क्या आप अपनी ही जाति में मेरी शादी करोगे ?
क्या आप उसकी जमीन देख कर शादी करोगे ?
या उसकी पक्की मतलब सरकारी नौकरी देख कर  करोगे ?
क्या आप गौत्र के हिसाब लगा कर करोगे ?
क्या आप उसका घर-बार देख कर शादी करोगे ?
आप क्या-क्या तय कर के करोगे ?
क्या आप मुझसे पूछ कर सब कुछ करेंगे ?
या आप मुझ पर ही सब कुछ छोड़ देंगे.
कितना अच्छा रहेगा
कि मैं अपनी मर्जी से तय करू सब कुछ.
क्योंकि आप ही तो कहते है कि ---
'मेरी बेटी कितनी समझदार है'
 ना बेटी,
इतनी भी समझदार कोनी है.
पर पापा,
कल ही तो बेटी दिवस पर कहा था कि
मेरी बेटी लड़के जैसी है,
और समझदार भी खूब है,
फिर आज क्या हो गया ?
आज मेरी समझदारी कहा चली गई.
ना बेटी टैम घणा खराब सै,
तू समझ्या कर....

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