सखी सैयां तो खूब ही कमात हैं
महंगाई डायन खाए जात है
हर महीना उछले पेट्रोल
डीजल का - उछ्ला है रोल/ (भी बढ़ गया मोल)
शक्कर बाई के का हैं बोल
हर महीना उछले पेट्रोल
डीजल का - उछला है रोल/ (भी बढ़ गया मोल)
शक्कर बाई के का हैं बोल
रुसा बासमती धान मरी जात है
महंगाई डायन खाए जात है
सखी सैयां.......
सोया बान को है बेहाल,
गर्मी से पिचके हैं गाल
घिर गए पत्ते,
पक गए बाल
सोया बान का का बेहाल ,
गर्मी में पिचके हैं गाल
घिर गए पत्ते,
पक गए बाल
और मक्का जीजी भी खाए गयी मात है
महंगाई डायन खाए जात है
सखी सैयां ....
अरे कददू की हो गयी भरमार
ककड़ी कर गयी हाहाकार
मटर जी को लगो बुखार
अरे कददू की हो गयी भरमार
ककड़ी कर गयी हाहाकार
मटर जी को लगो बुखार
और आगे का कहूँ
कही नहीं जात है
महंगाई डायन खाए जात है
सखी सैयां ....
साल घसीटत आ गव जून
महँगाई पी गयी खून
हाफ पैंट हो गयी पतलून
पड़े खटिया पे
यही बड़बड़ात है
महंगाई डायन खाए जात है
सखी सैयां .....
ए सैयां , ए सैयां रे ... मोरे सैयां रे खूब कमावें, सैयांजी ..
अरे कमा कमा के मर गए सैयां
पहले तकड़े तकड़े थे
अब दुबले पतले हो गए सैयां
अरे कमा कमा के मर गए सैयां
मोटे सैयां पतले सैयां
अरे सैयां मर गए हमारे खिसियाये के
महंगाई डायन मारे जात है
सखी सैयां तो खूब ही कमात है
महंगाई डायन खाए जात है
महंगाई डायन खाए जात है : अभाव में जीते भारतीयों का गीत
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें