लड़का-मास्टर जी ! राम-राम.
प्रो. साहब--ऐ इधर आओ ! तुमको इतना भी नहीं मालूम की कॉलेज में प्रोफेसर होते है और मास्टर स्कूल में होते है.
लड़का--इसमै के फर्क है.पढ़ावै वैं भी सै और पढ़ावै आप भी.
प्रो.साहब--वो हमसे कम पढ़े लिखे होते है.
लड़का--हाम तो इतने ही पढ़े लिखे है.हामनै तो कुच्छ फरक लागदा नी.दोनूं न्यूवै पढ़ावै सै.
प्रो.साहब---क्या मतलब ?
लड़का--आप भी कदे-कदे आओ सो पढ़ाण.अर आप भी गाईड़ मै निसान लगवाओ सो.बस आप न पीसे घणे मिलै सै.अर आप कदे मारदे कोनी.ना घरा उलाणा देंदे.बस
प्रो.साहब--तुम्हारा क्या नाम है और रोल नं. क्या है ?जब असाईनमैंट में कम नं. लगेंगे तब पता चलेगा जबान लड़ाने का.
लड़का-देख्या सर,कोई फरक नी आप मै उस स्कूल के मासटर मै.जब तन्नै रोल नं. नी बेरा तो के कर लेगा.कोनी बतांदा.
प्रो.साहब--अपना आई कार्ड दिखाओ.
लड़का--चल आपणा काम कर नै.तेरा काम पढाण का है,घणा पीटीआई ना बणै.
प्रो.साहब ने गला पकड़ने का प्रयास किया तो लड़के ने प्रो.साहब को धक्का मार दिया और साहब जी नीचे गिर गए.पास खड़े बच्चों ने किल्की मार दी.शर्मिंदा हो कर प्रो.साहब प्रिंसीपल ऑफिस की तरफ दौड़े.तब तक लड़का मौका ताड़ कर निकल चुका था,जब कई प्रो.साहब इकट्ठे हो कर आए.
अगले दिन प्रो.साहबों की मीटिंग हुई.बच्चों को लेकर भविष्य की चिंता जताई गई और आम सहमति बनी की किसी को कुछ कहने की जरूरत नहीं.अपना काम पढ़ाने का है,वो करो बस.फालतू पंगा नहीं लेना है किसी से.कानाफूसी के बाद मिंटिंग समाप्त हुई.
प्रो. साहब--ऐ इधर आओ ! तुमको इतना भी नहीं मालूम की कॉलेज में प्रोफेसर होते है और मास्टर स्कूल में होते है.
लड़का--इसमै के फर्क है.पढ़ावै वैं भी सै और पढ़ावै आप भी.
प्रो.साहब--वो हमसे कम पढ़े लिखे होते है.
लड़का--हाम तो इतने ही पढ़े लिखे है.हामनै तो कुच्छ फरक लागदा नी.दोनूं न्यूवै पढ़ावै सै.
प्रो.साहब---क्या मतलब ?
लड़का--आप भी कदे-कदे आओ सो पढ़ाण.अर आप भी गाईड़ मै निसान लगवाओ सो.बस आप न पीसे घणे मिलै सै.अर आप कदे मारदे कोनी.ना घरा उलाणा देंदे.बस
प्रो.साहब--तुम्हारा क्या नाम है और रोल नं. क्या है ?जब असाईनमैंट में कम नं. लगेंगे तब पता चलेगा जबान लड़ाने का.
लड़का-देख्या सर,कोई फरक नी आप मै उस स्कूल के मासटर मै.जब तन्नै रोल नं. नी बेरा तो के कर लेगा.कोनी बतांदा.
प्रो.साहब--अपना आई कार्ड दिखाओ.
लड़का--चल आपणा काम कर नै.तेरा काम पढाण का है,घणा पीटीआई ना बणै.
प्रो.साहब ने गला पकड़ने का प्रयास किया तो लड़के ने प्रो.साहब को धक्का मार दिया और साहब जी नीचे गिर गए.पास खड़े बच्चों ने किल्की मार दी.शर्मिंदा हो कर प्रो.साहब प्रिंसीपल ऑफिस की तरफ दौड़े.तब तक लड़का मौका ताड़ कर निकल चुका था,जब कई प्रो.साहब इकट्ठे हो कर आए.
अगले दिन प्रो.साहबों की मीटिंग हुई.बच्चों को लेकर भविष्य की चिंता जताई गई और आम सहमति बनी की किसी को कुछ कहने की जरूरत नहीं.अपना काम पढ़ाने का है,वो करो बस.फालतू पंगा नहीं लेना है किसी से.कानाफूसी के बाद मिंटिंग समाप्त हुई.
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