#बिल्लू_का_गुल्लक
एक बर की बात सै । एक म्हारा दोस्त फेकण तै नहीं हटै था। उसकी बकबक सुण कै सारे भीत हो लिए थे। पर ओ कोणी मान्या ।
म्हारे में था तो वो सब तै सुथरा। इस मारे भी म्हारी सबकी उसनै देख कै जल्या करदी । उसनै छोरी भी घणी लैन दिया करदी ।
या हे मरोड़ उसनै इतना बुलवा री थी ।कहण लाग्या इसा है भाई गुड़ पै तै माखी (मक्खी) आया ए करै सै । एक म्हारा सब तै भुंडा दोस्त भरया पड्या था । ओ बोल्या-माखी तो गू पै भी खूब बैठे । सुथरे आळे का मुंह खुला का खुला रह गया । म्हारे सब के पेट फुटगे हंस हंस कै ।
हजारी जवाबी भी एक बड़ी खूबी मानी जाती है हरियाणे की ।
सब नै राम-राम
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