बुधवार, 6 जनवरी 2016

धैर्य और साजिश

#धैर्य का बीज बोये हुए कुछ दिन या कुछ घण्टे हुए है और तेज गहराते काले बादल सोच रहे है कि इसने पिछली फसल तो उठा ली पर धैर्य के बीज को डुबो कर मार दूँ । मिट्टी भी अब अपनी सारी सख्त मिज़ाजी पर उतर आई है। आस-पास के पेड़ भी साजिश में लगे हुए है । बसन्त में पतझड़ की तरह सारे पत्ते बीज पर गिरा दिए है और सूरज की रौशनी नहीं पहुंच पा रही बीज तक उतनी जितनी चाहिए उसे अंकुरित होने के लिए। हवा भी कम मिल रही बीज को और उसके अंदर की नमी दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है और अंकुरित होने की इच्छा शक्ति कठोर होती जा रही है।

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