तलवार फ़िल्म
व्यवस्थाओं को चरमराने में सम्बंधों की कितनी बड़ी भूमिका रही है यह बात बिल्कुल साफ तौर पर कही गयी है ।दूसरा इन सम्बंधों की भेंट चढ़ते है निर्दोष लोग । दोषी आजाद घूमते है।
व्यापक सन्दर्भों में इसको समझने की जरूरत है ।
फ़िल्म में सीबीआई और पुलिस व्यवस्था में सबसे बड़े पद पर बैठे दो अफसरों की दोस्ती के सम्बंधों को उजागर किया गया है। दोनों एक ही बैच के थे। पुलिस ने तलवार दम्पति को दोषी बनाकर कोर्ट में पेश किया और सीबीआई जाँच में पता चलता है कि नौकर और आरुषि की हत्या हस्पताल में काम करने वाले और उसके दोस्त ने किया है। पुलिस की लाज बचाने के लिए सीबीआई अफसर ने केस को कमजोर बना दिया ।
असली लापरवाही तो पुलिस की तरफ से शुरू में ही की गयी थी । जिन पर सीबीआई ने लीपापोती कर दी ।परिणाम यह निकला कि तलवार दम्पति को उम्र कैद की सजा हो गयी।
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