समालखा के वैश्य हाई स्कूल में हमें आठवीं,नौंवी और दसवी में हिंदी पढ़ाने वाले मस्तमौला मासटर वेद प्रकाश शास्त्री नहीं रहे। कई दिन पहले उनकी बाइक का एक्सीडेंट हो गया। जिसमें उनकी और उनके बेटे की मृत्यु हो गई। जैसे ही यह खबर पता चली शरीर का पुर्जा-पुर्जा हिल गया। कई साल पहले समालखा में ही उनके बेटे की हत्या कर दी गई थी। सरेआम चाकुओं से गोद कर। दबंगों के दबाव और नरम व्यक्तित्व के कारण उन्होंने उस केस में समझौता कर लिया था। आज उनकी दो लड़कियां और पत्नी अकेली रह गई है इस संसार में। कोई सांत्वना उन्हें नहीं दी जा सकती।
वैश्य स्कूल में पढ़ाते-पढ़ाते ही उनकी सरकारी नौकरी हो गई थी। हमारे बाद भी उन्होंने कई बैच पढ़ाए होंगे।
उन जितना हंसमुख टीचर शायद ही कोई ओर रहा होगा स्कूल में। एक जानदार-शानदार शख्सीयत का यूं जाना बहुत अखर रहा हैं। उनका एक डायलॉग हमेशा याद रहता हैं। जब पेपर चल रहे होते थे और उन्हें जिस पर शक होता था कि उसके पास नकल होगी। उसके पास जाकर कहते थे कि- तेरे में से सडांध आ रही है। निकाल दे अपने आप। अगर अपने आप निकाल कर दे देता तो कुछ नहीं कहते थे। पकड़े जाने पर खूब पीटते थे।
आप हमेशा यादों में यूं ही बने रहेंगे सर। नमन।
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