शनिवार, 7 मई 2016

कुछ तो सरम करो- 2

खैर इन सब से ध्यान हटाने के लिए उसने घर में झाडू लगाना शुरू किया। कमरे के बाहर मम्मी-पापा और देवर तीनों बैठकर चाय पी रहे थे। तीन दिन बाद भी वह इतनी अभ्यस्त नहीं हुई थी कि घूंघट करे-करे झाडू भी लगा दे और उसका पल्ला सही जगह पर बना भी रहे। पर आज उसने इतनी साधना और संयम के साथ झाडू लगाई कि शरीर का कोई कपड़ा अपनी जगह से टस से मस नहीं हुआ। उसकी इतनी सधी हुई साधना देखकर मम्मी से रहा नहीं गया और बोली-बता यै आजकाल की बहु सै। एक घंटे में झाडू लगावै। इसकी चाल देख ल्यो जणु इसकै जेवर चुभ रे हो। यह सब कहते ही तीनों हंसने लगे। वह मायूस होकर रसोई की तरफ चली गयी। और अपने लिए चाय बनाने लगी। चाय बना ही रही थी कि पापा पीछे आकर बोले-कोई नी आपणी मम्मी की बात का बुरा मत मानिए। वा थोड़ी मजाकिया सी है। दिल की बुरी कोनी सै।इतना सुनकर उसके होठ जरा हंसने को हुए ही थे कि मम्मी आ गयी और बोली-के बुराई चल री सै मेरे पीछै तै मेरी। यह सब कहती हुई वह कप रखकर वापिस चली गई।
पापा जब रसोई से निकलने लगे तो उन्होंने अपना एक हाथ बहु के सिर पर रखा और उसे तीन-चार बार हिलाया। हर बार हाथ का हिलना तसल्ली देने के लिए हिल रहा था। बहु के उफनते सीने में थोड़ा ठहराव आया। जाते-जाते बोलने लगे-कोई नी धीरे-धीरे तुझे बी आदत पड़ जाएगी। नया घर है तौर-तरीके समझने में समय तो लगता ही है। और अच्छी बहु बनना आसान कभी नहीं रहा। थोड़ी मुश्किलें तो आती ही हैं। पर सीख जाएगी पिंकी तू भी। बस तू राकेश को कुछ मत बताना। वो गुस्सैल है। बहुत ज्यादा गुस्सा आता है उसे। और मां-पापा बाबत तो वो किसी की नहीं सुन सकता। तुम्हें ही एडजैस्ट करना होगा। सब्र करना होगा। घर बसते-बसते बसता है। उजाड़ने में तो मिनट लगती है। बसाने में साल लग जाते हैं। ठीक है ना। कोई दिक्कत हो तो मुझे बताना। अपने घर पर शिकायत मत लगाने बैठ जाना। वो भी तेरी बात सुन सकते हैं। कर कुछ नी सकते। जो करना-कराना होगा यहीं से होगा। यह सब वह बड़े ध्यान से सुन ही रही थी कि गैलरी से मम्मी की आवाज आई- ऐ तेरी ताई आ री सै। म्हारे दो कप चाय के बणा दिए। अर चाय न बढ़िया उबाल दिए। सुबह की तरह कच्ची मत बणा दिए। नहीं तै या तेरी ताई सारे गांव में गाती फिर जाएगी कि बिमला की बहु नै तो चाय भी बणाणी नहीं आती।उसने दो कप चाय दी और साथ में बिस्कुट भी रख दिए। चाय रखते ही उसने ताई को नमस्ते किए और उनका पैर छुए। ताई ने आशीर्वाद देते हुए कहा-दुधो नहायो पुतो फलो। उसके बाद वह कपड़े उतारने छत पर चली गयी। सारे कपड़े उतार कर लाई और बैड पर बैठकर प्रेस करने लगी। सबसे पहले उसने मम्मी-पापा के कपड़ों पर प्रेस की और उसके बाद देवर के कपड़ों पर। उन्हें उठाकर अलमारी में रखने लगी तो पीछे से देवर मुकेश आया बोला-भाभी 100रु दिए। पिंकी को उसका यू हक से पैसे मांगना अजीब नहीं लगा बल्कि उसे खुशी हुई। अपनेपन में खुशी-खुशी उसने अपने कमरे में से 100रु लाकर मुकेश को दे दिए। मुकेश पैसे लेकर भाभी के हाथ को पकड़ते हुए और उन्हें दबाते हुए बोला-थैंक्यू मेरी प्यारी भाभी। यह पहले प्यारे शब्द थे जो उसने शादी के बाद इस नए घर में सुने थे। उसका पूरा तन-मन इन शब्दों को सुनकर झूमने लगा था। उसके तन-मन से सारे दिन की थकावट दूर हो गयी थी। उसकी चाल-ढाल बिल्कुल बदल गयी थी। अब वह थोड़ी आत्मविश्वास से घर में घूम रही थी और काम कर रही थी। उसका इस तरह का बर्ताव मम्मी को अखर रहा था।
थोड़ी देर पिंकी ने सोचा मम्मी से पूछ आती हूं कि शाम को क्या सब्जी बनानी है? वह यह सब सोचते-सोचते मम्मी के पास पहुंची और मम्मी से पूछने लगी। उधर मम्मी को बहाना चाहिए था। वो मिल-बन गया था। या यूं कहें कि मम्मी ने सोच लिया था। मम्मी खटाक से मंड़ी तरेरते हुए बोली-सारे काम मुझसे पूछ के करती हो क्या? ये डरामे कहीं और करिए। ताई तै चाय देण की कहीं थी तू बिस्कुट मेरे से पूछ कर लाई थी क्या?  नहीं लाई थी ना। तो फिर अब पूछने का डरामा क्यों कर रही है? तेरा जो मन हो वो बणा मैं कौन होती हूं इस घर में बताने वाली। मम्मी सब को नाटकीय मुद्राओं में नचाती हुई जब यह सब कह रही थी तभी पिंकी नजर मम्मी के कंधे पर गयी। मम्मी के कंधे पर वही पिंक वाली स्ट्रीप दिख रही थी। वह मम्मी के सीने की तरफ देखने लगी और सोचने लगी मम्मी को तो यह छोटी होनी चाहिए। लगता है मम्मी ने जबरदस्ती पहन ली है। मम्मी को भी यह भनक लग गयी कि बहु को लगता है ब्रा वाली बात पता चल गई। मम्मी ने बात और शरीर दोनों को धुमाते हुए कहा-जा जा के अपना काम करले। यहां क्यों खड़ी है? जो मन हो वो सब्जी बणा लें। फ्रिज में रखी हैं। बहु के जाते ही मम्मी ने चैन की सांस ली। तभी उसको ध्यान आया कि डयूटी से आते ही उसका लड़का हाथ-मुंह धोएगे और शादी के बाद से उसे भी फेसवास से ही मुंह धोने की आदत पड़ गयी होगी। उसने फेसवास उठाया और चुपके से बहु के बाथरूम में रख आई।

उसने फ्रिज से पहले अरवी की सब्जी निकाली। फिर उसे लगा नहीं भिंडी की सब्जी बना लेती हूं। भिंडी लगभग काटने के लिए उसने धोई ही थी कि उसे लगा बगैर दही के भिंड़ी अच्छी नहीं लगेंगी। उसने भिंडी बनाना कैंसल कर दिया। फ्रिज से उसने अरवी निकाली और उन्हें छिलने लगी।

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