हरियाणवी लोक से उठती हर आवाज का एक खास संदर्भ और मकसद हैं । इसलिए सब तरह की आवाजों पर बात होनी चाहिए । लोकगीत,रागिणी और पॉपुलर के भेदभाव से अलग हटकर उनके कटेंट पर बात होनी चाहिए ।
हरियाणवी लोक विमर्श: कुछ तो सरम करो: शादी को हुए तीन दिन और चार रात हुई थी। गर्मियों के दिन थे तो दिन भले ही तीन हुए थे पर चार रातों से लंबे ही बीते थे। रात की गर्मजोशी में उन...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें