यह युग सैक्स समस्याओं का समाधान युग है. वैसे तो हर युग सैक्स समस्याओं का युग रहा है. पर इस युग में इस समस्या ने सबसे विराट रूप धारण कर लिया है.आयुर्वेद के जानकारों की माने तो इसके पीछे मुख्य कारण पश्चिमी संस्कृति और फास्ट-फूड किस्म के खानों के साथ-साथ अव्यवस्थित होती दिनचर्या है.समय से पहले बना लिए गए सैक्स-संबंध भी अनेक कारणों में से एक है.पोर्न फिल्में भी इस समस्या को बढ़ावा दे रही है.बच्चे बचपन में ही अपनी जिज्ञासाओं को गलत तरीके से शांत करने लग जाते है.शराब और अन्य नशे भी इस समस्या को विकराल रूप दे देते है.इन तमाम दलीलों को मद्दे नजर रखते हुए.यही लगता है .कि समस्या भले ही एक हो,पर कारण अनेक बताएं और गिनाएं जाते हैं.
इस समस्या की विराटता को देखते हुए ही जनसंचार के सभी माध्यम जनजागरण(मुनाफा ही जनजागरण है) करने के लिए और इस समस्या से निजात दिलाने के लिए हर संभव कोशिश कर रहे है.इसी वजह से आप हर माध्यम पर इन सैक्स समस्याओं के विज्ञापन देख सकते है.सारा मीडिया एकजुट हो कर सैक्स समस्याओं के निदान में लगा है.प्रत्येक अखबार में हर रोज इस तरह के विज्ञापन इसी मुहिम का हिस्सा है.रात 12 बजे के बाद जब बच्चे सो जाते है(मानकोनुसार) ,तब वहां भी लोगों की समस्याओं को सुना-समझा जाता है और उनकी समस्याओं का समाधान किया जाता है.रेडियो पर आपने लव-गुरु को तो जरूर सुना ही होगा.पब्लिक-टॉयलेट में भी आपने इस तरह के विज्ञापन खूब पढ़े होंगे.इन्हें पढ़कर कहीं आप भी तो ओरों की तरह खुद को शंका की दृष्टि से तो नहीं देखने लग गए थे.या आप ने भी इस तरह का इलाज कराने का प्लान बना रखा है.किन्हीं कारणों से जा नहीं पाएं या संकोचवश अपने में सिकुड़े बैठे है.संशय का समाधान.
सबके मन में पहला ख्याल यही आता है कि यह बीमारी / रोग मानसिक है या शारीरिक.या दोनों.या इस कल्पना प्रधान देश की अन्य मिसालों में से एक यह भी है.समस्या है या केवल भ्रम है.हर कोई अपने को किसी न किसी जगह रख कर देखता और सोचता है.कुछ आगे बढ़ जाते है,कुछ वही चिपके रह जाते है.कुछ स्वप्न दोष के खेल में जा फंसते है.कुछ हीनताग्रंथि के शिकार होते है.कुछ समाज में फैली किवदंतियों के.कुछ पुरुषत्व की होड़ में.क्या वाकई यह एक गुप्त रोग है या बाजार ने इसे भी पोट्रेट किया है.जो अपनी दुकानदारी चलाने के लिए हर संभव हथकंडे अपनाता है.गुप्त रोगी(ग्राहक) से बार-बार अनुरोध किया जाता है कि पीड़ित रोगी एक बार अवश्य मौका दें.
इन सबसे ज्यादा दोषी बचपन में की गई गलतियों को बताया जाता है.वह है हस्तमुथैन.हरियाणा में इसे मुट्ठी-मारना कहा जाता है(लोकप्रिय शब्द).इसी कराण इन विज्ञापनों में सबसे ज्यादा यही लिखा मिलता है कि बचपन में की गई गलतियों का समाधान राज दवा खाना.सबसे पुराना.सबसे जानदार इलाज.शानदार रिजल्ट.एक बार सेवा का मौका जरूर दे.जब है समाधान तो क्यों है परेशान ?
"उनके सामने शर्मिंदा न हो,जिनके साथ संपूर्ण जीवन बीताना है.हर उम्र के लिए असरदायक,सोचे नहीं जीवन को आनंदमय बनाने के लिए शीघ्र फोन करें."जब समस्या इतनी व्यापक है,तो क्या भारत में सैक्स-शिक्षा आरंभ नहीं कर देनी चाहिए.मर्दाना-ताकत समाज में पहले से ही बहुत मौजूद है.कल्पना कीजिए अगर भारत के ये सभी पुरुष इस मर्दाना-ताकत से भरपूर हो तो यहां पर बलात्कारों की संख्या और छेड़खानी में कितनी बढ़ोतरी होगी.इस तर्क के आधार पर तो इन्हें इसी हालत में छोड़ देना सही होगा.. या हो सकता है इसी तरह के लोग बसों और सावर्जनिक जगहों पर महिलाओं के साथ शारीरिक छेड़खानियां करते हो.
जरूरत सैक्स-शिक्षा की और समाज की पुरुष-मानसिकता के इलाज की है.यह केवल सैक्स मने संभोग तक का मामला नहीं है.सैक्स भारतीय समाज की सबसे बड़ी फैंटसी है.सैक्स रैकेट,सैक्स पैकेज,सैक्स बॉक्स,सैक्स पॉकेट,सैक्स सीरिज.सैक्स.सैक्स.सैक्स.यही भारतीय समाज का एक ऐसा शब्द है,जो सबसे वांछनीय और ग्राह्य दोनों एक साथ है.
एक बार मूसली पावर कैप्सूल खाइए और पत्नी को सुख व भरपूर आनंद दीजिए.ऐसा मजा जो उसने अब तक के जीवन में नहीं लिया होगा.पति हो तो ऐसा.वरना......
जरूरत सैक्स-शिक्षा की और समाज की पुरुष-मानसिकता के इलाज की है.यह केवल सैक्स मने संभोग तक का मामला नहीं है.सैक्स भारतीय समाज की सबसे बड़ी फैंटसी है.सैक्स रैकेट,सैक्स पैकेज,सैक्स बॉक्स,सैक्स पॉकेट,सैक्स सीरिज.सैक्स.सैक्स.सैक्स.यही भारतीय समाज का एक ऐसा शब्द है,जो सबसे वांछनीय और ग्राह्य दोनों एक साथ है.
एक बार मूसली पावर कैप्सूल खाइए और पत्नी को सुख व भरपूर आनंद दीजिए.ऐसा मजा जो उसने अब तक के जीवन में नहीं लिया होगा.पति हो तो ऐसा.वरना......
मूसली-मैन स्वस्थ समाज के आधार कभी नहीं हो सकते.इन से समाज में घरेलु-हिंसा,बलात्कार,छेड़खानी इत्यादि में इजाफा ही हो सकता है.स्त्री को बराबरी का दर्जा नहीं मिल सकता.
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