21 मिनट 35 सैकेण्ड की यह फिल्म कई घंटों की फिल्मों पर भारी है.अखाबारों में रोजाना छपने वाली छेड़खानी,बलात्कार,आदि की खबरे,जो हमें समझदार नहीं बनाती.बल्कि हमारी पुरुष मानसिकता को ओर दृढ करती है तथा पूरी प्रक्रिया को अनदेखी करते हउए स्त्री को दोषी घोषित करती-कराती है,उन पर करारा व्यंग्य इस फिल्म से उभरता है.स्त्री-पुरुष संबंधों में जैंडर के आधार पर होने वाले भेदभाव के साथ-साथ स्त्री को महज वस्तु और बदन समझ कर ट्रीट करने वाली मानसिकता का प्रतिकार भी इसे कई आयाम देता है.यह फिल्म हर स्कूल और कॉलेज में जरूर दिखाई जानी चाहिए...that day after everyday अनुराग कश्यप की लांग शोर्ट फिल्म बेहतरीन फिल्म है.
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