#समालखा
दिल्ली से 70 km और कुरुक्षेत्र से भी करीब इतना ही । यह मेरा नटखट गांव है जिसे अब कस्बा कहा जाने लगा है। रेलवे लाइन और जीटी रोड दो समानांतर आवागमन के बीचोबीच में है समालखा । पर अब धीरे-धीरे इसने अपना विस्तार चारों तरफ कर लिया है।
जाति के आधार पर कहे तो समालखा जाट बहुल क्षेत्र है । और आस-पास के गांव में जाट और गुज्जर दोनों की बहुलता है। समालखा के जाटों बाबत कहावत चलती है कि -समालखा के जाट, जै बै तोलो घाटे घाट। मतलब ये की समालखा के जाट को जितनी बार परखो गे वो उतनी बार दगा देगा। यह आम धारणा है। सच और झूठ का मिश्रण कितना है यह तो समालखा के जाटों को जो बरतते होंगे वो बेहतर बता सकते है।
समालखा कस्बा पूरी तरह से जातिवादी कस्बा है ।अपनी मानसिकता और बसावट दोनों में । हर जाति का अपना अलग क्षेत्र है और उनके नाम भी जाति आधारित है ।
#कुहाड़,#बेनीवाल और #कालीरमण ये तीन गौत्र है जाटों के ।जिनमें काली रमण की संख्या सबसे ज्यादा है दूसरे नम्बर पर बेनीवाल है और तीसरे पर कुहाड़।
#कालीरमण में से हमने सुविधा अनुसार काली हटा कर केवल रमन कर लिया । मैं #रमन के बजाय #रमण लिखना पसन्द करता हूँ ।क्योंकि इसका अर्थ मुझे पसन्द है।
खटीक,पंजाबी,चूड़े,चमार,बनिए,ब्राह्मण,लुहार,कुम्हार,नाइ,धोबी, आदि सभी जातियां है ।
मन्दिर खूब सारे है,एक मस्जिद,दो गुरुद्वारे और एक चर्च भी है यहां ।
दिल्ली से चंडीगढ़ जाने वाले मेन रस्ते पर मौजूद होने के कारण आने जाने की खास सुविधा है ।
धन्यवाद
अब इस पर हर रोज लिखूंगा।
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