रविवार, 3 जनवरी 2016

बर्तन और पुरुष

सर्दी तो बस रजाई में ही अच्छी लगती है । ठंडे पानी से बर्तन धोने में तो बहुत गन्दी लगती है । इस  चिकनाई ने तो जमा खून पी लिया । एक बर्तन को ही तीन चार बार रगड़ना पड़ता है । कैसा-कैसा अत्याचार हो रहा है मेरी कोमल उँगलियों और हाथों पर।  घास फुस और फल खा कर गुजारा करने वाला वो टैम ही ठीक था ।

ना भाई रसोई में गर्म पाणी कोणी । ईब या सलाह मत दिए अक गैस पे गर्म कर ले । भोत महंगी हो ऋ गैस । और हमारे सिलेंडर की तो आधे से ज्यादा वैसे ही निकल गयी । एक काम और बढ़ गया। हर बार सिलेंडर से खोलो और बन्द करो । किसी दिन भूल उक चूक न हो जाये । राम राम शुभ-शुभ बोलो ।

भैया आप सच में बर्तन भी धोते हो-इनबॉक्स जिज्ञासा

नहीं यार । सच वाले बर्तन हमें कौन धोने देता है । मुझसे झूठे बर्तन धुलवाते है। एकदम ठंडे पानी में वो भी । सॉरी भाई जब आपने मैसेज किया तब बर्तन ही धो रहा था तो आप को जवाब नहीं दे पाया । आप भी सोचते होंगे कि कितना भाव खाता है एक मैसेज का जवाब भी नहीं देता । पर क्या करता भाई गीले हाथों से कैसे जवाब देता।

वो तो अब परात में आट्टा डालते-डालते चैक कर लिया तो आट्टा गूथने से पहले सोचा आपको जवाब दे दूँ । क्या पता आप कब स्क्रीन शॉट काटकर लगा दे कि देखिये इन फेसबुक के क्रांतिकररियों को । फेसबुक पर लिखते है कि ठण्ड में बर्तन धोने में दिक्कत होती है और मैंने एक मासूम सा सवाल पूछ लिया कि क्या आप बर्तन भी धोते हो तो जवाब दिए नहीं बन रहा इनसे ।

अगर आप जवाब से सन्तुष्ट हो तो कृपया शेयर जरूर करें ।

शुक्रिया आपका बहुत बहुत

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