समालखा 2
समालखा पर लिखना अभी शुरू ही किया है । सब ठीक-ठाक रहा तो साल भर तो लिख ही सकता हूँ इस विषय पर । कल अपनी बात को मैंने मोटा-मोटी ढंग से बताने की कोशिश की थी कि भूगोल के नजरिये से और अपनी बसावट में दरअसल समालखा है क्या ।
दोस्तों ने पोस्ट में खूब उत्साह वर्धन किया है और तीन टिप्पणी सबसे महत्वपूर्ण थी । पहली टिप्पणी यह थी कि समालखा में अब एक नहीं तीन मस्जिद है ।
दूसरी टिप्पणी नीरज वत्स ने की । जिसमें कहावत में वृद्धि करते हुए एक और कहावत बताई-
समालखा की तो दो ही चीज मसहूर सै
बानिये और बांदर .....
तीसरी टिप्पणी आर टी आई एक्टिविस्ट पी पी कपूर ने की ।उन्होंने ने पोस्ट को जातिवादी बताते हुए अपनी आपत्ति और विरोध दर्ज़ किया। जो कि सही भी है ।जातिवाद पर इसी तरह सवाल उठने चाहिए। पर मेरा मानना है कि समाज की जातिगत सरंचना और जातियों के बीच जो प्रेम और घृणा लगातार अप डाउन होती रहती है उस पर लिखना या बात करना जातिवाद किस तरह है ?
आपकी नज़र में जातिवाद क्या है ?
क्या आपको लगता है कि समाज में जातिवाद है ?
किस वजह से समाज में जातिवाद है ?
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