सोमवार, 11 जनवरी 2016

प्रेमपत्र

लगतेजिग़र मुबारक

देख मन्नै शेरो-शायरी तो आंदी कोनी अर ना ठीक थारी भासा लिखणी आंदी। नुक्स का काढ़ण बैठ जाइये।
दो बात मैं पहल्या साफ कर दयूं। इब तै मैं ना तो जी लिखूंगी अर ना आप लिखूंगी। इन तै माणस ओपरा लागै आपणा कोणी लागदा।
या हिम्मत तै आपै आणी दी। जब तन्नै मेरी फलाइंग कीस कैच करकै काळजे कै लाई ना मेरा काळजा कती धड़क-धड़क करण लाग ग्या था।
नून तन्नै कीस पकड़ी अर थोड़ी हाण पीछै मनीषा म्हारे घरा आली। गाम बसा नी उजाड़न आळे पहल्या आलीइये। बोली तू मेरे भाई के पाछै कैती पड़ री सै। ओ कती सीधा सै उसनै इन चकरा मैं मत बाड़ै। तू किसे और न फंसा ले। बता किसी छोरी सै। प्यार नै फंसाणा बतावै। इसे माणस गेल माथा नी फोडया करदे। मन्नै भी कै दी ठीक सै। कती राजी-राजी भाजदी गई। जणू जीत का मैडल उसनै ए मिल ग्या हो।
शुरू मैं लैटर दीए पाछै तो मैं डर गी थी। जब तन्नै जवाब नहीं दिया तै मेरा तै कती माड़ा-सा मुंह लिकड़ ग्या था। कीस जब तै पकड़ी सै। फेर तै मैं समझ गी काम मैं उलझ रहया होगा।
इसा माणस तो लागदा कोणी।

तेरी पागल बबली
आई लव यू मेरी जान


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