तू होता कौन है ?
कल मैं और पूनम जब मेट्रो से प्रगति मैदान पुस्तक मेले में जा रहे थे तो हमारी सीट के सामने चार लड़कियां और एक लड़का खड़े बहुत सहज और मस्ती में बातचीत कर रहे थे। कोई एग्जाम भी देकर आये थे। लड़का थोड़ा असहज लग रहा था जबकि लड़कियां खुलकर बोल रही थी और सेल्फियां ले रही थी। मुंह और आँखों के अलग-अलग पोज बनाकर।
उनमें से एक मोदी को लेकर टिप्पणी करते हुए कहा कि-करता कुछ नहीं है बुलवा कितना लो इससे। दूसरी कुछ कहने ही वाली थी कि उनसे थोड़ी दुरी पर खड़े दो लड़कों में से एक ने कहा-बद्तमीज कही कि pm की इज्जत से बात करना तो सीख लें।
इतना ही कहा था कि लड़कियां भड़क गयी और बोली अबे तू कौन होता है हमारे बीच में बोलने वाला। तूने मेट्रो को खरीद लिया है या हमें। हम जो मर्जी बात करें तू कौन होता है बोलने-टोकने वाला।
लड़का बोला-ज्यादा बकवास मत कर।
उधर से लड़की पलट कर बोली-चुपकर बे दो कोडी के। तू होता कौन है ?
लड़का बोला-ज्यादा बकवास मत कर।
उधर से लड़की पलट कर बोली-चुपकर बे दो कोडी के। तू होता कौन है ?
हमारा जिसको मन होगा जो मन होगा बोलेंगे। केजरीवाल घटिया है बकवास है।
लड़कियां लगातार झिड़कती रही जब तक वह चुप नहीं हुआ। बाद में सवारियों ने समझौता कराते हुए दोनों को बात खत्म करने को कहा।
लड़की ने बात खत्म करते हुए कहा-अपने घर में चुप करा लेना। हमारा जो मन करेगा बोलेंगी। अपने काम से काम रखा करो।
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