#घणा_केजरीवाल_ना_बणै
बस सुबह की कम ठण्ड होने का फायदा उठाते हुए सरपट दौड़ती हुई नजफगढ़ की तरफ बढ़ रही थी। मस्त मौला टाइप ड्राइवर ने हरियाणवी गाने बजाए हुए थे। कम भीड़ थी ।लगभग सभी सीटों पर बैठे थे । कुछ खड़े भी थे पर सीट खाली थी ।हो सकता है एकाध स्टैंड बाद उन्हें उतरना हो ।अपनी फिदरत अनुसार मैंने बैठते हुए आस पास नजर दौड़ाई और लग गया अपने एकमात्र काम पर । जी बिल्कुल सही पहचाना आपने । फेसबुक । कुछ-कुछ टाइप कर ही रहा था । आँखे स्क्रीन पर थी। स्क्रीन नहीं की पैड पर। नजफगढ़ स्टैंड आया और ड्राइवर ने गाड़ी रोकी नहीं ।एक सवारी ने रोकने को कहा लगभग चिल्लाते हुए और नियम कानून गिनाते हुए। इतनी बकबक ड्राइवर से कहा सहन होनी थी जब तो बिल्कुल नहीं जब उसे सवारी दुबली पतली दिख रही ।
फड़फड़ाता जवाब देते हुए ड्राइवर ने कहा-बैनचोद घणा केजरीवाल ना बणै । जिसनै देखै केजरीवाल बणा हांडै। नास कर दिया दिल्ली का ।
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