#अतिशयोक्ति
मेट्रों में इतनी भीड़ है कि दूर खड़े बुजुर्ग से मैंने कुछ ऑक्सीजन उधार ली और उस युवा ने उस आक्सीजन का तीन चौथाई हिस्सा खुद गड़प लिया । जो मुझ तक पहुंचाने का जरिया बन रहा था और आप कहते है दिल्ली में भ्रष्टाचार में कमी आई है। मेरी नज़रों ने तुरन्त एक लोकपाल खड़ा कर दिया । बगल में खड़ी लड़की ने जेब से रामदास को निकालकर मेरी जेब में डाल दिया।
कुछ लोगों के पैर जोर-जोर से जिंदाबाद के नारे लगाने लगे । वृद्ध वाली सीट की तरफ नजर गयी तो देखा उधर असहिष्णुता बैठी थी । शांति आई और उसने उसकी जगह लेते हुए शुक्रिया बिल्कुल नहीं कहा । धर्म और जाति दोनों ने आपस में हाथ टकराते हुए जीत का जश्न मनाया । उनके हाथ जब अपनी जेब की तरफ वापिस लौट रहे थे तो पास खड़े नास्तिक के नाक से टकरा गए । वह लहूलुहान होकर रुमाल निकालने की कोशिश करने ही लगा था कि एक दो जनों ने उतरने की हड़बड़ी मचा दी ।उनकी हड़बड़ी में सब गोलमोल हो गया ।
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