हरियाणवी लोक से उठती हर आवाज का एक खास संदर्भ और मकसद हैं । इसलिए सब तरह की आवाजों पर बात होनी चाहिए । लोकगीत,रागिणी और पॉपुलर के भेदभाव से अलग हटकर उनके कटेंट पर बात होनी चाहिए ।
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बुधवार, 6 जनवरी 2016
शोर और सन्नाटा
सन्नाटे से डर नहीं लगता
और न ही शोर से लगता है।
डर तब लगता है जब ये दोनों
आपस में गहरे कहीं घुल मिल जाते है ।
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