रविवार, 17 जुलाई 2016

हुक्काबाजी



मोल्लू- अरै पाल्ले देख ओ बिल्लू जाण लाग रहया। उसनै हांक मार ले। ओ पढया लिख्या सै।  ओ बतावैगा कितने का बिल आरया सै?

पाल्ला- सुणिए रै मासटर के। उरै नै आ।

बिल्लू- दादा राम-राम, काका राम-राम।

मोल्लू- अरै भाई यो बिल देख कै बताइये कै रपया का आरया सै।

बिल्लू- 1370 रपये का बिल सै दादा।

मोल्लू- मेरी सुसरी लैट तो आंदी नी। यो साळा बिल इतने का क्यूकर आण लाग्या। 8-10 साल पहलै तै कदे नी आए यै इतने के बिल। इब इसी के आग लाग गी। ये हुड्डा के टैम तै आण लाग्गे थे। ओ मोदी तै टीवी मैं खूब रूक्के मारया करदा। अक महंगाई नै तै जड़ तै खो दयूंगा। यो आड़ै हरयाणा मैं इसा गूगा पीर बैठा दिया। इसनै ना तै क्याहे का ज्ञान सै अर ना काम करण का बेरा। इसके तै पांच साल न्यूवै जांदे दिखै सै। भकवा तै इन पै कितना-ए ल्यो। काम के ना काज के ढाई मण नाज के-ओ हाल होरया सै इनका तै।



पाल्ला- काका मोल्लू, तू बी किसी बात करै सै। जब सब कुछ महंगा होरया सै तो के बिजली महंगी नी होवैंगी। नू सुणन मैं आवै सै अक कोल्ला महंगा हो रहया सै। ज्या ताही बिजली मंहगी हो री सै। आरै बिल्लू या बात साच्ची सै के।

बिल्लू-  सरकार चाहवै तै हामनै सस्ती बिजली दे सकै सै। नीत होणी चाहिए। पर इनकी तै नीत अर नीति दोनू-ए तै माडी सै। इब सुण ले दादा। हाम जुणसे बिल भरै सै उनमै तै-ए या सरकार उनके बी पीसे काढ ले सै जुणसे बिल कोनी भरदे। म्हारा बिल दस हजार का आग्या था। ठीक करवाण चल्या ग्या। बीस बरिया तै चक्कर कटवा दिए। हाम पढ़ै-लिख्या का पागल बणा दे सै यै बिजली आळै। कदे कीसे का नाम ले दे कदे किसे का। ढीली सरकार का योए दुःख हो सै। अफसर नेता की नी सुणते, मुख्यमंत्री नेता की नी सुणता। बेरा नी सुणै कुण किसकी सै। जनता की तै कोए नी सुणता। नेता न्यू कहदे सै म्हारी चाल कोनी रही। फेर चाल किसकी रही सै।

पाल्ला- अच्छा! फेर महंगी क्या तै देण लाग री सै? हामनै इनका(सरकार) इसा के ठा राख्या सै। जो म्हारी कड़ तोडण पै चाल रै सै।

बिल्लू- काका! यो बीज हुड्डा बो कै जा रहया सै। उस टैम उसनै ए प्राइवेट कंपनियां के सींग कढवा दिए। इब वै सींग सेध रे सै।

मोल्लू- ओ इसा के कर ग्या?

बिल्लू- दादा! ओ इन कंपनी आल्या नै म्हारा फूफा बणा ग्या। इन कंपनियां पै तै बिजली खरीद कै म्हारे तै बेच दे सै। जै सरकार आप बिजली बणावै तै कितने आदमियां नै तै काम मिल ज्या। अर बिजली बी सस्ती हो ज्या। पर नी इन नै तो म्हारी गोभी खोदण तै मतलब सै। यो खट्टर के हुड्डा के कम सै। यो हुड्डा का बी कुछ लाग्गै सै।पाछली सरकार के टैम तै इब तही या सरकार बी बिजली खरीदण लाग री सै। वो बी इतनी महंगी अक जिसकी कोए हद नी। चाळा तै यो पाट रहया सै अक सरकार आपणे प्लांट बंद कर दे सै जब बिजली घणी हो ज्या सै। कितने माणसा के पेट पै लात मार कै यै अडाणी बरगे का घर भरण लाग रे सै।

पाल्ला- अरै यौ अडाणी ओए सै के जूणसे के जहाज मैं बैठ कै मोदी भासण देण जाया करदा। वो मूंछ-सी राख रहया सै जूणसा।

बिल्लू- हां, काका ओए सै। ओ आपणे हिसाब तै हुड्डा पै काम करवावै था इब खट्टर पै कराण लाग रहया सै।

पाल्ला- के कोई-सी सरकार कै यो हिसाब समझ कोनी आंदा। जो इसे काम करण लाग री सै। या तै जमा कती हद हो री सै।

मोल्लू- हद नी कहया करदे बेटा पाल्ले इसनै। इसनै लूट कहया करै सै। या सारी सैटिंग हुड्डा बैठा कै जा रहया सै, पर मजे या सरकार बी लेरी सै। लूट के माल मैं सब का साझा हो सै।

पाल्ला- फेर तो ताऊ यै सरकार म्हारै महंगा करंट मारण लाग री सै?

बिल्लू- प्राइवेट कंपनियां की आड़ ले कै सरकार जनता कै यो इतना महंगा करंट मारण लाग री सै। मनमोहन सिंह न्यू कहवै था अक पीसे पेड़ पै कोनी उगते। फेर यै म्हारे पीसे के पेड़ पै उगै सै जो सरकार म्हारे पै उगाही करण लाग री सै। और सुण ल्यो इन कंपनियां नै  करोड़ा रपये का कर्जा बी देणा सै। आम आदमी नै चै किसान नै थोड़े से पीसे देणे हो सरकार कती लत्ते पाड़ण नै होज्या सै। पर इन कंपनियां तही कुछ नी कहंदी।

(अरै पाल्ले होक्का होर भर ले। नू कर इसका पाणी बी बदल लिए। ताजे पाणी मैं न्यारा-ए मजा आवै सै। चा पीए पाछै तो होक्का बी न्यारा-ए रंग देवै सै।)

मोल्लू- तू ठीक कहवै बिल्लू। यै आपणे फूफा आगै क्यूकर बोल सकै सै। जब उसनै ओ मोदी-ए काणा कर राख्या सै। बता उसनै के जरूत थी उसके जहाज मैं टंगण की। उनकै लत्ते क्य़ूंकर पाड़ैंगे, वै तै खाण नै देरे इन तै।

पाल्ला- पर सरकार तो नू कहवै अक म्हारे धौरै भतेरी बिजली सै।


बिल्लू- सरकार कहवै कुछ सै अर करै कुछ ओर सै। सरकार नू कहवै अक म्हारे धौरे भतेरी बिजली सै। जब भतेरी बिजली सै तो फेर खरीदण की के जरूरत सै। सरकार नै प्राइवेट बिजली खरीदण खात्तर हाटकै फारम(पीपीए-पॉवर परचेज़ एग्रीमैंट) क्या  मांगवाए सै। इन प्राइवेट बिजली बेचण आळया पै तै सरकार बिजली खरीद के हामनै देवै। अर इन गेल इसी लिखा-पढ़ी कर राखी सै अक सरकार पै बिजली घणी हो या थोड़ी इन पै तै खरीदणी-ए पड़ैगी। मीह बरसे पाछै सरकार आपणे प्लांट बंद कर दे सै अर इन पै तै महंगी बिजली खरीद कै म्हारे तै महंगी बिजली बेच दे सै। कहण नै सरकार म्हारी सै, पर काम तै इन प्राइवेट कंपनियां के बत्ती आ री सै।

पाल्ला- अछया रै! यैं बात नी बेरा थी भाई हामनै।ज्या तै फेर इब बिजली आळे कच्चे लागण लाग गे। सरकार पक्के नी लांदी इब।

मोल्लू- पाल्ले जिसका पाददे सर ज्या ओ क्यूं हगै गा। यैं बिजली आळै बी पूरे मस्ता रे थे। कती काम करकै राजी नी थे। जोर पड़ै था इनकै बी काम करदी हाणा।

बिल्लू- ना दादा! इसा कोनी सै। जब सरकार निकम्मी हो तै करमचारी तै आप्पे निकम्मे हो ज्या सै। जब सरकार करमचारी पै काम नी करवा सकती तो सरकार बणी के करण खात्तर सै। हामनै सरकार आपणे काम करवाण खात्तर बणाई सै। उस अडाणी का घर भरण खात्तर कोनी बणाई।

पाल्ला- बिल्लू एक बात बता। हाम मीटर मैं 80 रीडिंग काढै सै कती नाप कै। फेर बी आई बरिया न्यारा-न्यारा बिल क्यूं आवै।

बिल्लू- काका पहल्या बिल जै यूनिट हो थी उतने का आवै था। इब आई बरिया बदल कै आवै सै। उसनै एफएसी (ईंधन समायोजन प्रभार) या एफसीए (ईंधन लागत समायोजन) या एफपीपीसीए (ईंधन और बिजली खरीद लागत समायोजन) कहवै सै।

पाल्ला- या के नई आफत सै भाई?

बिल्लू- वा रकम सै जो  बिजली देण आळी कंपनी   ईंधन या कोल्ले की अलग-अलग कीमत के आधार पै बिल मैं जोड़ दे सै।  कोल्ले या ईंधन की कीमत कोल्ले की मांग और आपूर्ति के आधार पै हर महीने बदल ज्या सै अर इसकी गेल बिजली के उत्पादन की लागत भी बदल ज्या सै। बिजली बणाण आळी कंपनियां इस लागत को वितरण कंपनियों पै लगावै सै, सरकार म्हारै लगा दे सै।

मोल्लू- कुछ पल्लै कोनी पडया। देसी भासा मैं समझा बेटा। पढ़े लिखे होंदे तो रोळा-ए के था।

बिल्लू- इसा है दादा। जुकर काका पाल्ला शहर मैं दूध बेचण जावै सै। अर दूध का भा(भाव) सै 40 रपये। तो काका 40रपये दे आवै सै। जै काका पाल्ला नू कहण लाग ज्या अक भाई मेरी राजदूत पट्रोल तै चाल्लै सै। मैं दूध के तो 40रपये लेवूंगा पर 5 रपये ऊपर तै पटरोल के बी लेया करूंगा। इन कंपनियां नै बस योए काम कर दिया। इब इसा काम होए पाछै ग्राहक तै पाल्ले तै नाट ज्यांगे। पर हुड्डा इसा काम कर ग्या अक यै कंपनी आळै इब आपणे तेल-पाणी का खरचा बी मारपै लेवै सै।

मोल्लू- हुड्डा का करया होया नास सै यो तो। फेर इस सरकार के दीदे फूट रे सै।

पाल्ला- इननै तू कम मान रहया से के ताऊ। इननै कदे सरकार चलाई हो तो बेरा हो। बाता की इसी-तीसी तो कितनी-ए करवा ल्यो इन पै। सुक्की मूंछ पिनाए हांडै सै यैं तै।

मोल्लू- मूंछ पाड़ कै हाथ मैं देण बी जाणै सै हम। आरै पाल्ले कदे काल तै तू बी तेल के पीसे मांगण लाग ज्या। फेर हामनै पहल्या तेरी मूंछ पाड़नी पड़ैंगी।

पाल्ला- मैं के अडाणी सूं जो मेरी कही चाल्लैगी। भाई बिल्लू इसका कुछ तो तोड़ होगा। जै न्यूए बिजली के बिल बढे गए तो के राह होगा।

बिल्लू- सरकार की नीत हो तो राह आपणे आप बण ज्यागी काका। हां या बात सही सै अक बढ़े गए तै पित्तल जरूर लिकड़ ज्यागा। और देसा मैं सस्ती होंदी जा सै बिजली। अर म्हारे आड़ै महंगी होंदी जा सै। राह तै म्हारे हाथ मैं ए सै काका। इन सरकारा पै जब तही दाब नी पड़ैगी। यै नी सीधी होवै।


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