जय जवान जय किसान
मुख्यमंत्री
खट्टर जी राम-राम
भोत घणा दुखी होकै नै
लिखणा पड़ रहया सै। यै दिन भी देखणे पड़ सकै सै। या कदे नहीं सोची थी। म्हारी तो
सीएम साब चुगरदे कै मार होरी सै। तीसरा दिन है आज खेत मैं लाइट नहीं आई। थारा
मंत्री तो थोड़ी वार लैट नी आवै तो सस्पैंड कर कै चालता बणै सै। हाम किसनै सस्पैंड
करै। म्हारे बरगे तो खेत मैं पड़े-पड़े थामनै गाली दे सकै सै। पर गालियां तै कै
म्हारे पेट भरै सै। पेट तो बढ़िया जीरी होए पाछै भरैगा। अर जीरी बढिया लैट आए पाछै
होवैगी।
मीह तो चलो आपणे टैम
पै आवैगा। पर बिजली तो तम दे सको हो। आप तै हाथ जोड़ कै कहूं सूं। अक म्हारे घर
मैं तड़के-सांझ नै छोड़कर चै सारा दिन-रात लैट मत दिया करो। पर म्हारे खेत की लाइट
जरूर दे दिया करो।
म्हारी
जीरी मरण का मतलब सै म्हारी उलाद मर जाणा। कती बाळक की तरिया खेती करणी पड़ै सै।
अखबार पढ़ण खात्तर लाया
था। लैट नी आई तै गरमी बी घणी लागण लागी। अखबार बिजणे का काम कर रहया। हवा
करदे-करदे शक्ल दिख गी। शक्ल के कती बारा बज रे। नू माडा-सा मुंह लिकड़ रहया कती।
बता तेरी के जीरी सुखै सै। अक तन्नै के छोरी ब्याहणी सै। अक बुआ तै तीज दे कै आणी
सै। ना तन्नै आढती पै रपये ठा राखे सै। ना तन्नै बाणिए की उधार देणी सै। ना तन्नै
बीज-सप्रे आले के पीसे देणे। अर कुणसा तेरे खेत में बिल लिकडै सै। म्हारे बरगे
थोड़े सै के टेनसन लेण आळे। बताओ सरकार के ये हाल सै। म्हारा के हाल होवैगा। फोटू
तै बी भूंडी खबर लिख री सै। दिल्ली बला कै नै तू धमका दिया। बता इसा धमकाण की
कुणसी बात थी। लोगा नै उस टवीटर पै आपणी शिकायत तो लिखी थी। या खबर पढ़ कै मैं बी
डर गया। पहल्या तो मैं बी बिजली ना आण की शिकायत सीएम विंडो पै करण की सोच रहया
था। धमकाण की खबर पढ़ कै हिम्मत टूटगी। उड़े का छौ तू म्हारे पै तार देगा।
थारी सरकार तै बच कै
रहण की तो अड़ोसी-पड़ोसी बी कहया करदे। पर मन्नै तो उनकी सुणी कोनी। अर घणी उम्मीद
करकै थारे तै वोट दी थी। क्यूं तम हामनै कती रूवाण पै चाल रे सो। पाछली बै बी जीरी
मैं नुकसान होग्या था। नू सोच्या था अक इबकै जीरी ठीक हो ज्यागी तै भा बढ़िया मिल
ज्यागा। पर बिजली ए नी आंदी भा का तो के बेरा सै। वै कहया करदे यैं किसान के कदे
कोनी हो सकते। यैं तो मोटे बाणिया की सरकार सै। इब तो सब कुछ दिखण लाग रहया सै।
हां ओ छोटा बाणिया तो म्हारा आज बी न्यूए
दुखी हो रहया। तेरी सरकार मैं किते नी उसकै मिल सीटी मारती। ओ हुड्डा बी
सारी हाण गुडगामे मैं बडया रह था तम बी सारी हाण उड़ै ए पाओ सो। इसा के लिकड़ रहया
सै गुडगामे में।
मेरे तै न्यू बताओ। जब सरप्लस बिजली सै हरियाणा पै। तो या बिजली जावै कित
सै। ना तो गाम मैं लैट आती अर ना खेत मैं आती। तो इस बिजली नै कुण खाण लाग रहया
सै। फैकटरी मैं तो नी बेच दयो सो। पक्का उन तै बेचते होगे।
किसे रिश्तेदार धौरै फोन कर लें। सब लाइट बाबत रोंदे पावै सै। रात नै जाग
कै तो फोन चार्ज करणा पड़ै। एक बरिया चार्जिंग मैं ला कै सो ग्या। तड़के उठ कै
देख्या तो फोन ट्रांसफारमर की तरिया काला होया पाया। लाइट का पता नहीं लागता कदे
तो कती डीम आवै कदे कती फुल। फोन भी के आपणी इसी-तीसी करावैगा। इस लैट के चक्कर
मैं कई रिश्तेदारा तै तो बात बी नहीं होती। जब देखो फोन चारज नहीं होया, याए बीन
बंजादे पावै। थारी न्यारी बीन बाजती पावै। अक हरयाणा पै बिजली तो भतेरी सै। इस
भतेरी नै म्हारे धौरै बी भेज दे खागड़। सारे मजे आप लेण लाग रहया सै। जै तन्नै
सारी रात बैठ कै चून पीसण बैठा दें तो बेरा लाग ज्यागा तन्नै बी।
हाम तो सारे कै रो-रो थक लिए। बड़े आले छोरे के फोन मैं रोज नू लिख्या आवै
अक बरसैगा। सरकार नै तो हाथ हला राखै सै यो राम थारा भी फूफा हो रहया सै। काली घटा
सी उठै बरसता कुछ नी। बड़ी मुश्किल तै खेत मैं लैट आवै। थोड़ी वार पीछै भाग ज्या
सै। फोन करो बिजली आळा पै तो दैड़ देनी कहदे सै परमिट ले राख्या सै। मेरी सासू के
यैं बी बिजली आण की बांट देखे जा सै। किसनै बेरा सै अक परमिट ले बी राख्या सै अक
नहीं। हरयाणवी पढ़णी तो आती होगी अक या बी कोनी आती। हामनै बी आपणे मान कै कुछ कर
दे म्हारा।
किसे एमएलए या एमपी धौरै चले ज्यां। सारे रोंदे पावै अक म्हारी नहीं चालती।
सब कहवै टवीटर की चाल री सै। तो हामनै बी सबकी देखा देखी टवीटर लोड करणा पड़ैगा के? खेत
मैं जीरी की जगाह यो टवीटर बो दयूं के? या सरकार के शहर
वालों की सरकार सै। बता दयो थम।
अर जब ओ पियूष गोयल नू कहवै था ना अक टवीटर पै हरियाणा के लोग उस पै व्यंग
करै सै। करड़ा करकै क्यूं नी लिया। हरयाणा की बेजती करा दी तन्नै। ऊं हाम नू कहवै
अक आड़ै दूध-दही का खाणा। बता तेरे तै आधा था ओ अर तन्नै धमका गया। ठा कै गाड दिया
कर इसया नै तो। मन्नै तो इसा लाग्गै सै जणू तेरी गेल हांगा हो रहया सै। जनता का
नहीं कख्खा बी पता तन्नै अर ना हरयाणा का बेरा। नीरा मलंग सै तू तो। ऊ पलंग ठा
रहया सै।
अर के हो सै यो टवीटर। यै हाईफाई ड्रामे सै टवीटर-फवीटर के। तेरी गेल तो ओ
काम ओ रहया सै जुकर अकल बिना ऊंट उभाणा फिरैं।
मेरे तै नू बताओ अक आगली बार वोट बी इस टवीटर पै गेरणे सै के? लखा
ल्यो म्हारे कैनी बी।
ल्यो आखर मैं एक शेर सुण ल्यो। जयसिंह लंबरदार के टरक पै लिख रहया सै। याद
म्हारै होरया सै। हौवैगा क्यूं नी। घर के बारणै तो म्हारे अड़ा कै खड़या करै सै।
पर बात घणी सही सै-
फलक पे तेरी हस्ती सै, जमीं पे मेरी बस्ती सै
थोड़ा-सा तू झुक, थोड़ा-सा मैं उठता हूं
मिलने की सूरत यही निकलती है।
म्हारे तो रिश्तेदार हामनै सीएम बैल्ट का माणस बतावै
थम म्हारी इसी हालत कर रे सो। शरमा ल्यो कुछ, जै आंदी हो तो।
आपके हरयाणे का घणा दुखी किसान
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