ताऊ राम-राम!
राम-राम प्रकासे! के कागज से ठा रहया सै।
कुछ नी ताऊ, बिजली का बिल भर कै आया था। साली लैट कम आवै सै अर यो बिल घणा
आवै सै। या सरकार जीरी अर गेहूं के भा तो बढांदी कोनी। महंगाई रोज बढ़ण लाग री सै।
न्यूए बढ़े गई तै इस गात का सारा करंट खत्म हो ज्यागा।
या बात तो ठीक कही प्रकासे तन्नै। तन्नै बेरा सै अक या
बिजली इतनी महंगी क्यूं हो री सै?
ना ताऊ! बस नू सुणते आवै सै अक कोल्ला महंगा हो रहया सै ज्या तै
महंगी हो री सै।
हरियाणा सरकार चाहवै तै हामनै सस्ती बिजली दे सकै सै। पर
या सरकार बी पाछली सरकार की तरिया हामनै महंगी बिजली देण लाग री सै।
अच्छा! फेर महंगी क्या तै देण लाग री सै?
हरियाणा सरकार जै कोयला ब्लॉक पै आपणे प्लांट लगा ले तो
पूरे हरयाणा नै सस्ती बिजली मिल सकै सै। पर सरकार इसा करैगी तो प्राइवेट कंपनियां
की गोज(जेब) क्यूंकर भरैंगी। इब सरकार 81% बिजली तो खरीदण लाग री सै। जै सरकार आपणे प्लांट ला ले
तो एक रपया पर यूनिट तै बणाण का खरचा पड़ै अर एक रपये पर यूनिट ट्रासमिशन मैं खरच
होवै।
प्रकासे जा आपणी ताई तै कहिए दो कप चा बणा देगी। उमर होए
पाछै टीकड़े बी हजम होणे बंद हो ज्या सै।
ठीक सै ताऊ! कहकै आऊ सूं।
के भाव लेवे उन पै अर म्हारे तै के भा देवै?
सरकार प्राइवेट कंपनी पै तै 3 अर 4 रपये के बीच में लेवै
सै। अर म्हारे तै इस भा मैं देवै-11.27, 10.70, 8.30, 7.58, 7.41, 7.34 रपये पर यूनिट।
पिछली सरकार के टैम तै इब तही या सरकार बी बिजली खरीदण
लाग री सै। वो बी इतनी महंगी अक जिसकी कोए हद नी। चाळा तै यो पाट रहया सै अक सरकार
आपणे प्लांट बंद कर दे सै जब बिजली घणी हो ज्या सै।
के कोई-सी सरकार कै यो हिसाब समझ कोनी आंदा। जो इसे काम करण लाग री सै। या
तै जमा कती हद हो री सै।
हद नी कहया करदे बेटा इसनै। इसनै लूट कहया करै सै। या
सारी सैटिंग हुड्डा बैठा कै जा रहया सै, पर मजे या सरकार बी लेरी सै। लूट के माल
मैं सब का साझा हो सै।
फेर तो ताऊ यै सरकार म्हारे महंगा करंट मारण लाग री सै?
70 के करीब प्राइवेट कंपनियां की आड़ ले कै सरकार जनता
कै यो इतना महंगा करंट मारण लाग री सै। मनमोहन सिंह न्यू कहवै था अक पीसे पेड़ पै
कोनी उगते। फेर यै म्हारे पीसे के पेड़ पै उगै सै जो सरकार म्हारे पै उगाही करण
लाग री सै। और सुण ले इन कंपनियां नै 34600 करोड़ रपये का कर्जा बी देणा सै। आम
आदमी नै चै किसान नै थोड़े से पीसे देणे हो सरकार कती लत्ते पाड़ण नै होज्या सै।
पर इन कंपनियां तही कुछ नी कहंदी। क्या तै भाई?
अरै प्रकासे होक्का होर भर ले। नू कर इसका पाणी बी बदल
लिए। ताजे पाणी मैं न्यारा-ए मजा आवै सै। चा पीए पाछै तो होक्का बी न्यारा-ए रंग
देवै सै।
उनकै लत्ते क्य़ूंकर पाड़ैंगे ताऊ, वै तै खाण नै देरे इन तै। पर सरकार तो नू
कहवै अक म्हारे धौरै भतेरी बिजली सै।
सरकार कहवै कुछ सै अर करै कुछ ओर सै। सरकार नू कहवै अक
म्हारे धौरे भतेरी बिजली सै। जब भतेरी बिजली सै तो फेर खरीदण की के जरूरत सै।
सरकार नै प्राइवेट बिजली खरीदण खात्तर हाटकै आवेदन(पीपीए-पॉवर परचेज़ एग्रीमैंट)
क्या तै मांगे सै। इन प्राइवेट बिजली बेचण आळया पै तै सरकार बिजली खरीद के हामनै
देवै। अर इन गेल इसी लिखा-पढ़ी कर राखी सै अक सरकार पै बिजली घणी हो या थोड़ी इन
पै तै खरीदणी-ए पड़ैगी। मीह बरसे पाछै सरकार आपणे प्लांट बंद कर दे सै अर इन पै तै
महंगी बिजली खरीद कै म्हारे तै महंगी बिजली बेच दे सै। कहण नै सरकार म्हारी सै, पर
काम तै इन प्राइवेट कंपनियां के बत्ती आ री सै।
फेर तो सरकार म्हारा पागल बणा री सै ताऊ!
बणा लेण दे प्रकासे। इलैक्सन मैं इसा करंट लावैंगे हाम
बी। आई री आई री नी करदे पावै तै जब कहिए। देख्या नी हुड्डा के किसे हाड लिकड़गे।
इनकी तै खाल बी कोनी पावैगी गात पै।
अरै होक्का चाल रहया सै के।
आज्या मांगे चाल के रहया सै। प्रकासे नै कती इबै-ए भरया
सै। इबै तै सही तरिया सुलग्या बी कोनी सै। लै मार खींच-खींच के घूंट। अर सुलगा दे।
सारी गरमी हो ली दिन मैं तै लैट कतिए नी आंदी। दोपहरी मैं दो घड़ी सोण की बी कोनी
सोच सकता माणस इसा काम कर राख्या सै। रात-बिरात नै तो माणस चल बाहर सो ज्या सै।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें