ज़िंदा गां थारी सै
सारा दूध थारा सै
देबी सै मां सै
गोरक्षा का नारा सै
बाछड़ा हांडै गली गली
बछिया माल थारा सै
खुरपी थराती हाम खींचै
चिकणी खाल थारी सै
खून पसीना म्हारा सै
हल अर बैल थारे सै
दान दक्षिणा तम लूटो
कर्ज़े हाम पै सारे सैं
सीता राम थारे सैं
गंदे काम म्हारे सै
फटी बिवाई म्हारी सै
चिकने हाथ थारे सै
कोर्ट कचहरी मैं तम सो
फैक्ट्री अर मिल थारी सै
दोनूं मिल कै मारै सींटी सै
मंदर मस्ज़द पंडत सयद
सारे ठाठ थारे सै
तो ल्यो यैं लाश थारी सै
यै मरी होई मां सै
ले जाओ पूजा पाठ करो
सारी हाड्डी खाल थारी सै
हाम कलम चलावैंगे इब तो
संसद में जावैंगे इब तो
तम करो धर्म की रक्षा भाई
हाम देश बचावैंगे इब तो।
इब ज़ुल्म सहा नै जावैगा
प्रतिकार म्हार नारा सै
सन्देश भीम का ल्याए सैं
यो हिन्दुस्तान म्हारा सै।
(गुजरात के बहादुर दलित कार्यकर्ताओं को समर्पित)
अशोक पांडे की हिंदी कविता का हरियाणवी अनुवाद
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें