कुछ दिनों पहले की बात है ।टीचर ने अपने लडके का ब्याह किया ।और शादी के अगले दिन बाद की बात है ।लाइट भागी हुई थी । टीचर की पत्नी को गुजरे कई साल हो गये थे ।बेचारा अकेला जीवन जैसे-कैसे बस काट ही रहा था ।उसके दुःख दर्द सुनने वाला कोई नहीं था ।टीचर होने की मरोड़ में अड़ोसी-पड़ोसी से भी बात नहीं करता था ।हर रात उस पर भारी पडती थी ।जिस कारण से वह चिडचिडा भी हो गया और उसकी सहन शक्ति भी काफी कमजोर हो गयी थी ।बस बच-बचाकर उसने अपनी सेहत ठीक रखी हुई थी । टीचर बगड़(आंगन) में खाट पर मच्छर दानी लगाकर सोने की तैयारी कर रहा था ।कि उसे चौबारे से लडके की आवाज सुनाई दी ।लाइट न होने के कारण आवाज साफ-साफ़ सुनाई दे रही थी ।लड़का अपनी लुगाई को कह रहा था कि तू इतनी सुथरी है अक पता नी के कह दूँ तन्नै ।ये बात जब उसने पांच -छे बार कह दी तो टीचर से रुका नहीं गया और बोल दिया कि बेटा तूं इसनै मां कह दे अर निच्चै आ ज्या ।या खाट अर या माच्छर दानी तेरी बाट देखण लाग री सै ।
हरयाणवी चुटकले पर आधारित